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प्रवास क्या है? प्रकार, प्रभाव या परिणाम
प्रवास क्या है प्रवास का अर्थ (pravas kya hai) , प्रवास की परिभाषा (pravas ki paribhasha), प्रवास की विशेषताएं (pravas ki visheshta), प्रवास के प्रकार अथवा वर्गीकरण (pravas ke prakar), प्रवास के प्रभाव या परिणाम (pravas ke prabhav) , (अ) प्रवास के सकारात्मक परिणाम या प्रभाव , (ब) प्रवास के नकारात्मक परिणाम अथवा प्रभाव , 4 टिप्पणियां:.
Parvas ke mahatv
Esme Ritu parvas nahi hai
Isme pravas ke paryavarniy ke prabhav nhi hai
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रेलवे टिकट पर लिखे WL, RSWL, PQWL, GNWL जैसे कोड्स का क्या है मतलब? जानिए
रेलवे टिकट पर पीएनआर नंबर के अलावा कई तरह के कोड्स (ticket codes) भी प्रिंट होते हैं. जिसमें cnf, rac, wl, rswl,pqwl,gnwl जैसे कोड्स शामिल हैं. क्या आप जानते हैं कि इन कोड वर्ड्स का क्या मतलब होता है..
- 30 जून 2021,
- (अपडेटेड 30 जून 2021, 6:00 PM IST)
- ट्रेन के रिजर्वेशन टिकट पर लिखे होते हैं कई कोडवर्ड
- टिकट पर लिखे कोड्स से रेलवे देता है कई जानकारी
Railways Ticket Codes: भारतीय रेलवे में सफर के लिए जब आप टिकट बुकिंग यानी रिजर्वेशन कराते हैं, तो टिकट पर पीएनआर नंबर के अलावा कई तरह के कोड्स (Ticket Codes) भी प्रिंट होते हैं. जिसमें CNF, RAC, WL, RSWL,PQWL,GNWL जैसे कोड्स शामिल हैं. क्या आप जानते हैं कि इन कोड वर्ड्स का क्या मतलब होता है और ये कितने काम के साबित हो सकते हैं.
1- PNR (Passenger Name Record): जब ट्रेन में सफर के लिए रेलवे के टिकट का रिजर्वेशन कराते हैं तो 10 अंको का एक पीएनआर नंबर मिलता है. यह एक यूनिक कोड नंबर होता है. जिससे आप अपने टिकट की डिटेल्स जान सकते हैं.
2- WL (Waiting List): प्रतीक्षा सूची यानी वेटिंग लिस्ट वाले टिकट पर ये कोड लिखा होता है. यह प्रतीक्षा सूची का सबसे सामान्य प्रकार है, इसके कन्फर्म होने की संभावना सबसे अधिक होती है. उदाहरण के लिए यदि स्थिति GNWL 4/WL 3 है, तो इसका मतलब है कि आपके पास 3 की प्रतीक्षा सूची है. यानी आपका टिकट तभी कन्फर्म होगा जब उसी यात्रा के लिए आपके पहले बुक करने वाले 3 यात्री अपना टिकट कैंसिल कराएं.
3- RSWL (Road Side Waiting List): टिकट पर रोड साइड स्टेशन वेटिंग लिस्ट तब लिखा जाता है जब बर्थ ट्रेन के शुरू होने वाले स्टेशनों से रोड साइड स्टेशन या उसके पास पड़ने वाले स्टेशनों के लिए बुक कराया जाता है. इस तरह के वेटिंग टिकट में कन्फर्म होने की संभावना बहुत कम होती है.
4- RQWL (Request Waiting List): जब किसी इंटरमीडिएट स्टेशन से दूसरे इंटरमीडिएट स्टेशन तक के लिए टिकट बुक कराया जाता है और अगर वह सामान्य कोटे, रिमोट लोकेशन कोटा या पूल्ड कोटा के अंतर्गत नहीं है, तो उसे रिक्वेस्ट वेटिंग लिस्ट में भेज दिया जाता है.
5- RAC (Reservation Against Cancelation): RAC में दो पैसेंजर को एक ही बर्थ पर यात्रा करने की अनुमति दी जाती है. जिन यात्रियों का टिकट कंफर्म होता है और वह यात्रा नहीं करते तो उनकी बर्थ आरएसी के तौर पर दूसरे यात्रियों को अलॉट कर दी जाती है.
6- CNF (Confirm): अगर आपके रिजर्वेशन टिकट पर CNF लिखा है और बर्थ का अलॉटमेंट नहीं हुआ है. तो इसका मतलब है कि आपकी सीट कंफर्म है. चार्ट तैयार होने के बाद सीट नम्बर अलॉट किया जाएगा.
7- CAN (Cancel): जब आप अपना टिकट कैंसिल कराते हैं तो उसके बाद जो प्रिंटआउट आता है उस पर CAN लिखा होता है. इसका मतलब है पैसेंजर का टिकट कैंसिल कर दिया गया है.
8- GNWL (Genral Waiting List): जनरल वेटिंग लिस्ट यानी सामान्य प्रतिक्षा सूची वाले टिकट किसी पैसेंजर के कंफर्म टिकट कैंसिल करवाने पर जारी किए जाते हैं. यह प्रतीक्षा सूची का सबसे सामान्य प्रकार है. इसके कन्फर्म होने की संभावना सबसे अधिक होती है.
9- TQWL (Tatkal Quota Waiting List): यह तत्काल टिकट की वेटिंग लिस्ट होती है. तत्काल बुकिंग करने पर यदि नाम वेटिंग लिस्ट मे आता है, तो यह स्टेट्स TQWL दिखाता है. इसके कंफर्म होने के चांस काफी कम होते हैं.
10- PQWL (Pool Quota Waiting List): अंडर पूल्ड कोटा वेटिंग लिस्ट जनरल वेटिंग लिस्ट से अलग तैयार होती है. इसमें ऐसे पैसेंजर्स की डिटेल होती है जो ट्रेन ओरिजिनेशन और डेस्टिनेशन के बीच के स्टेशंस के बीच यात्रा करते हैं.
11- RLWL (Remote Location Waiting List): रिमोट लोकेशन वेटिंग लिस्ट के कंफर्म होने के सबसे ज्यादा चांस होते हैं. ये छोटे स्टेशंस का बर्थ का कोटा होता है. इन इंटरमीडिएट स्टेशंस पर वेटिंग बर्थ को RLWL स्टेटस दिया जाता है.
12- NOSB (No Seat Bearth): 12 साल से कम उम्र के बच्चों से चाइल्ड फेयर लिया जाता है. लेकिन उन्हें सीट अलॉट नहीं की जाती. ऐसे में पीएनआर स्टेट्स NOSB शो करता है.
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सांद्रता किसे कहते हैं? सांद्रता की परिभाषा, सूत्र और इसका मात्रक क्या है?
स्वागत हैं दोस्तों आपका हमारी हिंदी केमिस्ट्री की वेवसाइट पर। आज हम आपको सांद्रता किसे कहते हैं? सांद्रता की परिभाषा क्या होती है? सांद्रता का सूत्र क्या होता है? और सांद्रता का मात्रक क्या होता है? इस सबके बारे में बताएँगे। पिछले आर्तिक्ल में हमने आपको परासरण किसे कहते हैं? परासरण की परिभाषा क्या होती है? परासरण कितने प्रकार का होता है? परासरण के उपयोग तथा परासरण के उदाहरण के बारे में बताया। इस आर्टिकल में हम आपको सांद्रता किसे कहते हैं विस्तार के साथ बताएँगे। इसके साथ सांद्रता से जुड़ी और भी बहुत सी जानकारी आपको देंगे।
सांद्रता एक बहुत महतवपूर्ण टॉपिक है। यह टॉपिक परीक्षा की दृष्टी से भी बहुत महतवपूर्ण है। परीक्षाओं में सांद्रता के कई प्रश्न आ जाते हैं। जिसका उत्तर देना हमारे लिए जरूरी होता है।इस टॉपिक को हम बहुत आसान शब्दों में विस्तार के साथ बताएँगे, इसलिए इस महत्वपूर्ण टॉपिक को ध्यानपूर्वक पढ़े ताकि आप को ज्यादा लम्बे समय तक याद रह सके। आज के इस आर्टिकल में हम आपको विलयन की सांद्रता के बारे में भी बताएँगे। और साथ ही साथ विलयन की सांद्रता का प्रभाव कहाँ पर अधिक होता है? व विलेय पदार्थ और विलायक किसे कहते हैं यह भी बताएँगे।
मोल क्या है?
विलयन की सांद्रता किसे कहते हैं?
दोस्तों यह प्रश्न अधिकतर परिक्षाओं में पूँछ लिया जाता है कि विलयन की सांद्रता किसे कहते हैं? विलयन की सांद्रता को जानने के लिए हमें सबसे पहले विलयन के बारे में पता होना चाहिए कि विलयन किसे कहते हैं? विलयन किन चीजो से मिलकर बनता है? आइए जानते हैं विलयन के बारे में।
विलयन (Solution)
- दो या दो से अधिक समांगी मिश्रण को विलयन कहते हैं। अथवा विलेय और विलायक के मिश्रण को विलयन कहते हैं।
- समांगी मिश्रण(विलयन) में प्रत्येक भाग का संघटन सामान होता है।
- दो पदार्थों से मिलकर बने विलयन को द्विअंगी विलयन तथा तीन पदार्थों से मिलकर बने विलयन को त्रिअंगी विलयन कहते हैं।
उदाहरण- पानी और नमक का घोल, पानी और चीनी का मिश्रण, एल्कोहल और जल का समांगी मिश्रण, अमोनिया और जल का मिश्रण।
विलेय तथा विलायक (Solute and Solvent)
सांद्रता के बारे में जानने से पहले सांद्रता किसे कहते हैं? ये जानने से पहले हमें विलेय तथा विलायक के बारे में जरूर पता होना चाहिए। समांगी मिश्रण में जो अवयव अधिक मात्रा में उपस्थित होता है उसे विलायक तथा जो अवयव जो अवयव कम मात्रा में उपस्थित होता है उसे विलेय कहते हैं। अगर हम सांद्रता के पद से विलेय विलायक के बारे में जाने तो वह पदार्थ जो विलयन में कम मात्रा में उपस्थित हों विलय कहलाता है तथा वह पदार्थ जो विलयन में अधिक मात्रा में उपस्थित हो विलेय कहलाता है।
सांद्र विलयन (Concentrate Solution) किसे कहते हैं?
वह विलयन जिसमें विलेय की सांद्रता विलायक की सांद्रता से अधिक होती है, उसे सांद्र विलयन कहते हैं। जब विलेय और विलायक आपस में मिलते हैं और मिलकर जो विलयन बनाते है उस विलयन के गाड़े पन को सांद्रता कहते हैं। जो विलयन जितना गाढ़ा होगा उस विलयन की सांद्रता उतनी ही अधिक होगी। अथवा विलयन में उपस्थित विलेय पदार्थ की मात्रा को सांद्रता कहते हैं।
सांद्रता व्यक्त करने की विधियाँ
सांद्रता व्यक्त करने की विधियाँ निम्नलिखित हैं-
1. द्रव्यमान प्रतिशत (mass percentage w/w) – किसी विलयन के 100 ग्राम में घुली विलेय की मात्रा को उस विलयन का द्रव्यमान प्रतिशत कहते हैं। इसे W/W% से व्यक्त करते हैं।
उदाहरण – NaCl के जलीय विलयन का द्रव्यमान प्रतिशत 10% (W/W) है इसका अर्थ है कि 100gm विलयन में 10gm NaCl उपस्थित है।
2. आयतन प्रतिशत (volume percentage V/v) – किसी विलयन के 100ml आयतन में उपस्थित विलेय के ml में आयतन की मात्रा विलयन का आयतन प्रतिशत कहलाती है। इसे V/V% से व्यक्त करते हैं।
3. प्रतिशत सांद्रता (mass by volume percentage W/V) – किसी विलयन के 100ml में उपस्थित विलेय की ग्राम में मात्रा प्रतिशत सांद्रता कहलाती है। इसे W/V% से व्यक्त करते हैं।
उदाहरण – NaCl के जलीय विलयन की प्रतिशत सांद्रता 10% (W/V) है इसका अर्थ है 100 ml NaCl के विलयन में 10gm NaCl उपस्थित है।
4. मोलरता (Molarity) – किसी विलयन के एक लीटर में उपस्थित विलेय पदार्थ के मोलो की संख्या विलयन की मोलरता कहलाती है इसे M से प्रदर्शित करते हैं।
n = विलेय के मोलो की संख्या
v = विलयन का आयतन (लीटर में)
5. नॉर्मलता (Normality) – किसी विलयन के एक लीटर में उपस्थित विलेय पदार्थ के मिली तुल्यांको की संख्या विलयन की नॉर्मलता कहलाती है। इसे N से प्रदर्शित करते हैं।
6. मोललता (Molality) – किसी विलायक के एक किलो ग्राम में उपस्थित विलेय के मोलो की संख्या विलयन की मोललता कहलाती है। इसे m से प्रदर्शित करते हैं।
mol = विलेय के मोलो की संख्या
kg = विलायक का भार किलो ग्राम में
7. मोल अंश या मोल प्रभाज – किसी विलयन में उपस्थित विलेय या विलायक के मोलो की संख्या तथा विलेय या विलायक के कुल मोलो की संख्या का अनुपात विलेय या विलायक का मोल प्रभाज कहलाता है।
8. विलयन की ग्राम/लीटर में सांद्रता – किसी विलयन के एक लीटर में उपस्थित विलेय की ग्राम में मात्रा विलयन की ग्राम/लीटर में सांद्रता कहलाती है। उदाहरण के लिए ग्लूकोस के विलयन की सांद्रता 10 gm/लीटर है इसका अर्थ है 1 लीटर ग्लूकोस विलयन में 10 gm ग्लूकोस घुला है।
S = सांद्रता (ग्राम/लीटर)
w = विलेय का भार (ग्राम)
V = विलयन का आयतन (ml)
9. PPM (Parts Per Million) – किसी विलयन में विलेय की अतिसूक्ष्म मात्रा उपस्थित होने पर उसकी सांद्रता को PPM में व्यक्त करते हैं। किसी विलयन के 1 million (10 lakh) ग्राम में उपस्थित विलेय की ग्राम में मात्रा विलयन की PPM में सांद्रता कहलाती है।
10. फॉर्मलता (Formalty) – किसी विलयन के 1 लीटर आयतन में उपस्थित विलेय के सूत्र बहारों की संख्या विलयन की फॉर्मलता कहलाती है। इसे F से व्यक्त करते हैं।
प्रश्न- उस विलयन की मोलरता की गणना कीजिए जिसमें 5 ग्राम NaOH , 450 ml विलयन में घुला हो?
हल- मोलरता (M) = ?
NaOH का भार =5 ग्राम
NaOH का अणुभार = 23+16+1 =40
विलयन का आयतन = 450 ml
मोलरता = NaOH का भारx1000 / NaOH का अणुभारx विलयन का आयतन (ml)
मोलरता = 5×1000/40x 450
उत्तर – मोलरता =5/18 = 0.28 मोल/लीटर
परासरण क्या है?
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने आपको सांद्रता किसे कहते हैं? विलयन किसे कहते हैं?, विलायक किसे कहते हैं? और सांद्रता व्यक्त करने की विधियाँ जैसे- आयतन प्रतिशत(V/V), द्रव्यमान प्रतिशत(W/W ), प्रतिशत सांद्रता(W/V), ग्राम/लीटर, मोलरता (Molarity), नॉर्मलता (Normality), मोललता (molality), PPM (Parts Per Million), फॉर्मलता (Formality), मोल प्रभाज(Mole Fraction) के बारे में विस्तार के साथ बताया है, इनके सूत्रों को भी हमने इस आर्टिकल में दर्शाया है। इसी तरह की केमिस्ट्री से सम्बंधित जानकारी हम इस हिंदी केमिस्ट्री की वेवसाइट पर देते रहते हैं। और अधिक जानकारी पाने के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ तब तक के लिए धन्यवाद।
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विज्ञापन (परिभाषा, प्रकार, विज्ञापन लेखन के उदाहरण)
विज्ञापन लेखन, परिभाषा, प्रकार, उदाहरण | Vigyapan in Hindi | Vigyapan Lekhan
विज्ञापन क्या है?
विज्ञापन शब्द का अर्थ ‘विशिष्ट जानकारी’ से है। अर्थात वस्तु के गुणों को बढ़ाकर विज्ञापन में विशेष जानकारी प्रस्तुत किया जाता है। जो उपभोक्ता को आकर्षित करता है और उन्हें सामान खरीदने के लिए मजबूर करता है। विज्ञापन का उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों तक किसी वस्तु या सेवा की जानकारी पहुंचता है।
आज के जमाने में अपनी वस्तु की बिक्री बढ़ाने के लिए दुकानदार कंपनी नई नई प्रचार-प्रसार के तरीके ढूंढती है और विज्ञापन के माध्यम से उपभोक्ता को आकर्षित करती हैं।
यह लोग उपभोक्ता को क्यों आकर्षित करते हैं? क्योंकि उनकी वस्तु अधिक से अधिक लाभ कमा सके। उत्पादक अपनी बिक्री कर अधिक लाभ कमाना चाहते हैं। तो उपभोक्ता उनका प्रयोग कर सुख एवं संतुष्टि पाना चाहते हैं। ग्राहक को इसी तरह आकर्षित कर उसका फायदा उठाते हैं और दुकानदार तरह-तरह के प्रोडक्ट का प्रयोग करते हैं।
जैसे वे विज्ञापन है अर्थात की वर्तमान जमाने में देखेंगे की वस्तुओं की उत्पाद को बढ़ाने के लिए वस्तुओं के अधिक से अधिक बिक्री के लिए अगर लोगों के पास कोई हथियार है तो वह है, “विज्ञापन”।
विज्ञापन का संसार विस्तार हो चुका है, विज्ञापन का अर्थ है कि विज्ञापन शब्द विज्ञापन में उपसर्ग लगने से बना है। अर्थात इसे जो ज्ञापन हैं मूल शब्द है, जिसका अर्थ होता है विशेष जानकारी प्रदान करना। यह जानकारी उत्पादित वस्तु और सेवा से जुड़ी होती है। यह जानकारी संबंधित होती है, जिस वस्तु की हमें बिक्री करनी होती है। दुकान में वस्तुओं के गुणों को बढ़ा चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है।
यह क्यों किया जाता है क्योंकि उपभोक्ता लालच में आकर खरीदने के लिए विवश हो जाए, उपभोक्ता को वस्तु की जानकारी तुलनात्मक दाम एवं चयन का विकल्प मिल जाता है। उपभोक्ता टीवी देख रहे हैं, रेडियो पर कोई कार्यक्रम सुन रहे हैं। तो बीच-बीच में विज्ञापन आते रहते हैं तो यह क्यों आते हैं? क्योंकि उपभोक्ता उसे सुने, उसे देखें और वस्तुओं को खरीदे। आज के समय में समाचार पत्र, पत्रिका पढ़े, तो उसमें भी जगह-जगह विज्ञापन दिए रहते हैं।
अब आप घर से बाहर जाए, तो हम आप क्या देखते हैं, मकानों की दीवारों पर विज्ञापन लगे होते हैं। उसमें उपहार ऑफर लिखा रहता है, कहीं भाड़े की मकान खाली, आज फलाने दुकान में यह खरीदने पर आपको यह उपहार मिलेगा इत्यादि है। विभिन्न विभिन्न प्रकार के विज्ञापन देखने को मिलता है।
विज्ञापन बनाने का उद्देश्य
किसी उत्पाद खरीदना और बेचना या उसी को बढ़ावा देना, अन्य उत्पाद कंपनियों के उत्पादन की तुलनात्मक जानकारी, किसी संस्थान में रिक्त स्थान, नौकरी चाहिए, किराए के लिए घर नाम बदलना, गुमशुदा की तलाश शादी हेतु वर या वधू चाहिए स्कूल आदि में प्रवेश दुकान में सेल खाने-पीने किसी अन्य दुकान या शोरूम खोलने की सूचना देना, चुनाव प्रचार, किसी शिविर का आयोजन, जमीन खरीदना बेचना आदि।
विक्रय की सहायता करना
विज्ञापन के माध्यम से ग्राहकों को वस्तुओं के लक्षण, गुणों, प्राप्ति, स्रोत आदि के बारे में बहुत सारी जानकारी दी जाती है। इससे विक्रेताओं का काम सरल हो जाता है, उन्हें अपनी वस्तु या सेवा को बेचने के लिए प्रयास करना पड़ता है।
व्यापारिक संबंधों को सुधारना
विज्ञापन पुराने व्यापारियों को आश्वस्त करता है और नए व्यापारियों को उत्पाद की वस्तु बनाने के लिए प्रेरित करता है।
नई वस्तुओं का बाजार में प्रवेश करना। किसी भी वस्तु को बाजार में लेने से पहले ग्राहकों को उसके बारे में पर्याप्त जानकारी देनी पड़ती है और उन वस्तुओं की मांग उत्पन्न करती है और विज्ञापन क्या है वस्तु की पूरी जानकारी देकर इसकी मांग करता है और विज्ञापन वस्तु के नाम पैकिंग कीमत आदि आदि में परिवर्तन करके ग्राहकों को जानकारी दी जाती है।
मध्यस्थों को वस्तु बेचने के लिए विवश करना
यह इस बात के लिए मध्यस्थों को वस्तु बेचने के लिए विवश करता है, जिससे मेडिएटर्स को वे उस निर्माण की वस्तुओं को अपने यहां बिक्री के लिए रखें, जिससे कि विज्ञापन किया जा रहा है और यह सब तभी मुमकिन है। जब ग्राहक विज्ञापनों से प्रभावित होकर वस्तु खरीदने के लिए विक्रेताओं से पूछताछ करें।
दूसरा प्रमुख उद्देश्य यह है कि विक्रेताओं को इस बात के लिए विवश करना है कि वह उस निर्माण की वस्तुओं को अपने यहां बिक्री के लिए रखें, जिनका विज्ञापन किया जा रहा है। तभी मुमकिन है जब वह विज्ञापनों से प्रभावित होकर वस्तु को खरीदने के लिए मध्यस्थ विक्रेताओं से पूछताछ करें।
ब्रांड वरीयता बनाना
विज्ञापन इस उद्देश्य से किया जाता है कि ब्रांड के प्रति परीता बन जाए जिससे उपभोक्ता उसी ब्रांड को खरीदे और प्रतियोगियों के लिए कठिनाई उत्पन्न कर दें कि वह अपनी वस्तुओं को बेच सके।
उपभोक्ताओं को याद दिलाना
विज्ञापन के द्वारा ग्राहकों को वस्तुओं को खरीदने के लिए याद दिलाया जाता है और यह याद दिलाने के लिए बार-बार विज्ञापन किया जाता है और हमने देखा है कि इसके उद्देश्यों में बार-बार पुनरावृत्ति इसी कारण की जाती है। आपको एक तो बार-बार याद दिला जाता है दूसरा आपको खरीदने के लिए प्रेरित किया जाता है।
प्रतियोगी विज्ञापन को प्रभावित करना
प्रतियोगी विज्ञापन का उद्देश्य होता है प्रतियोगी कंपनी के द्वारा किए जा रहे विज्ञापन के प्रभाव को शून्य करना है। जैसे कि आप देखते हैं कि उसी दाम पर किसी वस्तु को दो यूनिट खरीदे जा सकते हैं या फिर उस बस में भारी मात्रा में छूट देकर विज्ञापन किया जाता है। ताकि अधिक से अधिक ग्राहक खरीदने के लिए प्रेरित हों।
उपभोक्ताओं को शिक्षित करना
विज्ञापन का उद्देश्य उपभोक्ताओं को शिक्षित करना है और विज्ञापन के द्वारा विज्ञापित वस्तु की उपलब्धता पहचान और उसकी प्रयोग के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान कर उपभोक्ताओं को शिक्षित किया जाता है।
विक्रय करता की पहुंच से बाहर के लोग से संपर्क करना
विज्ञापन एक सार्वजनिक प्रसारण है, उसे बाहर के लोगों से संपर्क करना भी विज्ञापन का प्रमुख उद्देश्य है। आप जानते हैं कि विज्ञापन का जो दायरा है बहुत बड़ा होता है यह एक सार्वजनिक प्रशासन है और इसकी सूचना है दूर-दूर तक अधिक व्यापक क्षेत्र में प्रसारित होती है। इसलिए विज्ञापन के द्वारा उन लोगों तक पहुंचा जा सकता है, जिनके पास विक्रेता नहीं पहुंचती है और उन लोगों तक की मांग बनाई जा सकती है।
दूसरी महत्वपूर्ण यह है कि विज्ञापन का उद्देश्य से और ब्राह्मण विचारों को दूर करना भी है और यह विज्ञापन वस्तुओं की बिक्री के मार्ग में उत्पन्न होने वाले गलत और भ्रमित विचारों को दूर करता है और विज्ञापित वस्तु को लोकप्रिय बनाने के लिए भी बहुत ही महत्वपूर्ण उद्देश्य है विज्ञापन का।
विज्ञापन के लाभ
विज्ञापन संप्रेषण का माध्यम के लाभ निम्नलिखित हैं जैसे एडवर्टाइजमेंट कम्युनिकेशन एक संप्रेषण का माध्यम है, जिसके उत्पाद की जानकारी एक प्रोड्यूसर से उत्पादन करता है उससे उपभोक्ता तक पहुंचाई जाती है तो क्या है एडवर्टाइजमेंट एडवर्टाइजमेंट एक संप्रेषण का माध्यम है, जिससे निर्माताओं से जानकारी गांव तक पहुंचाई जाती है।
विज्ञापन के माध्यम से बड़ी संख्या में जो दूर-दूर फैले हुए व्यक्ति हैं उनकी पास यह इंफॉर्मेशन पहुंचाई जाती है। तुमको प्रोडक्ट की जानकारी दी जाती है, जिससे क्या होता है विज्ञापन का कुल खर्च है, वह घटकों में बट जाता है। अलग-अलग पार्ट में डिवाइड हो जाता है और प्रति लेझीम की इकाई हो जाता है। प्रोडक्ट कीमत कम हो जाता है, विज्ञापन से क्या मालूम चला विज्ञापन का एक भेद है। इसमें मितव्ययिता है खर्च कम आता है।
स्पष्टता (CLARITY)
विज्ञापन एक ऐसा माध्यम है, जिसके द्वारा नया गांव के अंदर भी नई रुचि जागरूक की जाती है। मतलब ऐसे लोग जो अपने लोग अपनी प्रोडक्ट यूज नहीं करते हम उस प्रोडक्ट के लिए रुचि जागृत करते हैं। एडवर्टाइजमेंट के द्वारा की जाती है।
कंप्यूटर डिजाइन एवं ग्राफिक्स इन सब का न्यूटीलाइट कर कर के जो विज्ञापन का माध्यम है। उसको वितरित किया जाता है और इसके कारण ही चीजों की यूटिलाइजेशन के कारण जो सिंपल प्रोडक्ट है वे और आकर्षित नजर आने लगते हैं, जिससे लोगों के अंदर प्रोडक्ट के लिए रुचि जागृत हो जाती है।
सूचना (Information)
विज्ञापन एक ऐसा संचार माध्यम है जो उपभोक्ताओं को आवश्यकता पूरी करने के लिए बाजार में उपलब्ध प्रोडक्ट की जानकारी देती है। इसमें जो विज्ञापन हैं, ग्राहकों की जरूरत पूरी करता है, उनकी जरूरत कैसे पूरी करती है जो प्रोडक्ट बाजार में है उसे ग्राहक को बाजार में उपलब्ध प्रोडक्ट वस्तुएं उनकी जानकारी प्रदान करती है और इसके द्वारा उपभोक्ताओं को यह पता चल जाता है कि किस तरीके से बाजार मे वस्तुएं उपलब्ध है। उनको किस तरह से फायदा पहुंचाएगी।
विश्वास व आश्वासन
प्रत्येक उपभोक्ता और निर्माता आपस में सीधे संपर्क में नहीं रह सकते क्योंकि पता है आपको जो उपभोक्ता होते हैं। वह दूर दूर होते हैं, जरूरी नहीं पार्टिकुलर एरिया में रहे, ऐसी स्थिति में जो निर्माता है। उपभोक्ताओं को विश्वास दिलाने के लिए विज्ञापन का सहारा लेता है।
विज्ञापन क्या हुआ एक तरह का सहारा हो गया जो निर्माताओं और उपभोक्ताओं के बीच विश्वास दिलाता है। उपभोक्ता प्राचीन ब्रांड वाली वस्तुओं को अधिक महत्व देता है चाहे उसे खरीदने के लिए ज्यादा पैसा देना पड़ता और उपभोक्ताओं को यह विश्वास विज्ञापन से ही मिलता है।
विज्ञापन है वह वस्तु की ब्रांड इमेज बनाता है, जितनी बार किसी पार्टी कूलर वस्तु का एडवर्टाइजमेंट विज्ञापन होगा ब्रांड इमेज का ब्रांड इमेज होती है। एक अच्छे ब्रांड की वस्तु खरीदने और बेचने में सुविधा होती है क्योंकि उपभोक्ता उस वस्तु को जानता नहीं है पढ़ता नहीं है, जिस वस्तु की ब्रांड में बनी होती यह ब्रांड इमेज किसके द्वारा बनाए जाते हैं एडवाइजमेंट के द्वारा बनाई जाती है या हम कहे विज्ञापन के द्वारा बनाई जाती है। वस्तु के पैकेट डिब्बे पर वस्तु का वजन, रंग, संख्या आदि लिखी होती है और उसमें मूल्य भी लिखी रहती है जिसमें उपभोक्ता और बिक्री करता के बीच समय का भी बचत होती है और थोड़े दिन और लेने में सुविधा होती है।
पसंद की स्वतंत्रता
वह उपभोक्ता किसी भी प्रोडक्ट को खरीद सकता है। आज के इस भौतिक युग में बहुत सारी ऐसी प्रोडक्ट उपलब्ध है जो कि कंपटीशन के अंदर है एक ही प्रोडक्ट एक ही तरह से न्यूटीलाइट अलग-अलग दाम पर उनके उत्पादित करती है। ऐसी स्थिति में अगर उपभोक्ता किसी एक ब्रांड पर संयुक्त नहीं होता वह दूसरे ब्रांड का प्रोडक्ट उपभोक्ता वस्तुओं को खरीद सकता है।
विज्ञापन के प्रकार
ऐसे तो विज्ञापन कई प्रकार के होते हैं, परंतु मोटे तोड़ पर हम छ: विज्ञापन को यहां विस्तारपूर्वक जानेंगे:
स्थानीय विज्ञापन
राष्ट्रीय विज्ञापन
वर्गीकृत विज्ञापन
औद्योगिक विज्ञापन
जनकल्याण संबंधी विज्ञापन
सूचनाप्रद विज्ञापन
स्थानीय शब्द से क्या मतलब है स्थान विशेष। इन छोटे क्षेत्र से इन छोटे क्षेत्र से इनका प्रचार प्रसार का क्षेत्र छोटा होता है। स्थानीय स्तर का होता है, क्षेत्रीय स्तर का होता है। क्षेत्र विशेष तक जानकारी पहुंचाने के जैसे उनका प्रचार चित्र जितना छोटा होता है कि इसके लिए हमें आवश्यकता से छूट नामी योजनाओं का जिक्र करना पड़ता है।
जैसे हम कई बार देखते हैं जब कहीं कपड़ों की सेल लगती है। किसी विशेष प्रकार की मेले की छोटे-मोटे छूट चलती है या कपड़े जूते चप्पल खिलौने इत्यादि की सेल चलती है। इस प्रकार के अलग-अलग क्षेत्रों में इस प्रकार की छूट मिलती है। कहीं मेला लग रहा है तो इस प्रकार की छूट से अन्य प्रकार का बिक्री करने में प्रयास करते हैं। इसके लिए जो विज्ञापन प्रसारित किए जाते हैं, इसे स्थानीय विज्ञापन कहते हैं।
खास तरह के विज्ञापन खाद उत्पादन होता है आमतौर पर यह जरूरतों के लिए होता है। यह विज्ञापन प्रत्यक्ष बिक्री बढ़ाने के लिए होती है। यह डायरेक्ट सेलिंग बढ़ाने के लिए प्रत्यक्ष बिक्री को बढ़ाने के लिए इसका प्रसारण स्थानीय क्षेत्र में होता है। इस विज्ञापन का क्षेत्र होता है।
जैसे मान लेते हैं कि एक पेपर सिर्फ एक सिटी में ही बढ़ेगी, वह दूसरा स्ट्रीट नहीं जा सकती तो उसे स्थानीय विज्ञापन भी कहते हैं। कई तरह के छोटे-छोटे बैनर भी लगा दिए जाते हैं जैसे- मॉल पर स्टेशन बस रेलवे स्टेशन टीवी रेडियो समाचार पत्र इन सभी में छोटे-छोटे अपना एडवर्टाइजमेंट करते हैं तो इस तरह के विज्ञापन को स्थानीय विज्ञापन इस प्रकार के होते हैं।
इसमें संस्थान द्वारा जो है, जनमत तैयार कर योजना प्राप्त करने के लिए विज्ञापन के जरिए सूचना दी जाती है। मतलब लोगों की मानसिकता क्या है यह विज्ञापन के जरिए जानने का प्रयास किया जाता है। वह राष्ट्रहित के लिए किन रूपों में शामिल हो सकता है। इसकी जानकारी प्राप्त की जाती है। अनेक राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय कंपनियां हैं जो शिपिंग कंपनियां हैं जो बड़े-बड़े उद्योग समूह बीमा कंपनियां, राष्ट्रहित बीमा कंपनियां है।
सारी कंपनियां राष्ट्रहित संबंधी विज्ञापन देकर जनता की जो मानसिकता है, उनका वह प्राप्त करते हैं और उसके माध्यम से फिर अपना व्यवसाय वृद्धि का प्रयास करते हैं तो यह राष्ट्रहित संबंधी विज्ञापन कंपनियां लोगों की मानसिकता के लोगों की मानसिकता जानने के लिए इस तरह के विज्ञापनों का प्रयोग किया जाता हैं।
आपने देखा होगा समाचार पत्र में जो है इस तरह के विज्ञापन वर्गीकृत विज्ञापन आपको देखने के लिए मिलेंगे। जो छोटे-छोटे विज्ञापनों से भरा हुआ जो पेज हैं, वह वर्गीकृत विज्ञापन का होता है। इसमें कौन सी बातें होती हैं कि किसी को घर खरीदना होता है, किसी को घर बेचना होता तो क्रय विक्रय संबंधी वस्तुओं के क्रय विक्रय कार खरीदना बेचना खरीदने और बेचने के संदर्भ में कई बार जो है कोई खो जाता है तो खोया पाया कि कई बार जो है मृत्यु होती है तो वह शोक संदेश जन्मदिन की बधाई वाला विज्ञापन है कि अच्छी बहू चाहिए विज्ञापन से संबंधित विज्ञापन से संबंधित विज्ञापन नौकरी से संबंधित विज्ञापन प्रॉपर्टी से संबंधित नीलामी मेडिकल किराया किराए पर मकान ऑटोमोबाइल ज्योतिष वर वधु आवश्यकता के विषय में विज्ञापन प्रकाशित किए जाते हैं वर्गीकृत विज्ञापन होते है।
औद्योगिक विज्ञापन जो होता है, वह सामान्य ग्राहकों से संबंधित नहीं होता है। इस विज्ञापन में उद्योग से संबंधित कच्चा माल उद्योग से संबंधित उपकरण आदि को बेचने खरीदने के संदर्भ में है, यह विज्ञापन प्रसारित किया जाता है। सारी जानकारी प्रस्तुत करना है इसका उद्देश्य होता है।
इस प्रकार के विज्ञापन में प्रमुख रूप से जो है औद्योगिक विज्ञापन प्रक्रिया जो होती है, उसे प्रकाशित किया जाता है। इस प्रकार के विज्ञापन का उद्देश्य होता है, सामान्य व्यक्ति को आकर्षित करना नहीं होता है। बल्कि जो उद्योग जगत से जुड़े हुए जो लोग हैं जो संस्थाएं हैं उद्योग निर्माता है उनको अपनी ओर आकर्षित करना। इस प्रकार के विज्ञापन का उद्देश्य होता है तो औद्योगिक विज्ञापन कहते हैं।
यह विभिन्न प्रकार के विज्ञापन है जैसे नगर पालिका है, महानगरपालिका है, नगर निगम है, ग्राम पंचायत हैं, जो संस्था है, जो सरकारी संस्थान है, इनके द्वारा समाज सुधार के संबंध में कल्याण के संदर्भ में सार्वजनिक कल्याण के संदर्भ में समय-समय पर जो है विज्ञापन प्रकाशित किए जाते हैं, जिसमें लोगों के हित की जानकारी होती है, इन्हें विज्ञापन करते हुए हैं।
यात्रा संबंधी सावधानी हटी दुर्घटना घटी घर पर कोई आपकी प्रतीक्षा कर रहा है तो यह क्या है इससे जनकल्याण की भावना से लेकर जुड़ा हुआ यह विज्ञापन है। लोगों के सावधानी से है घर पहुंचना चाहिए या दुर्घटना को हटाना चाहिए इस तरह का संदेश दिया जाता है।
इस प्रकार के विज्ञापन में सूचना प्रसारित करने वाला विज्ञापन इस प्रकार के विज्ञापन में विज्ञापन सूचनाओं को प्रकाशित करता है और अपने जो व्यापारिक जो मत है जो अभिव्यक्ति है वह लोगों के सामने रखता है। व्यापार संबंधी जो भी सूचनाएं हैं, वह इस विज्ञापन के माध्यम से लोगों तक पहुंचाई जाए साथ ही इस विज्ञापन का यह उद्देश्य होता है कि जो साधारण सामान्य है जो सामान्य लोग हैं उनको शिक्षित करना भी इस विज्ञापन का उद्देश्य लिविंग स्टैंडर्ड से है उसको उठाने का उद्देश्य आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रेरित करना उन्नति के लिए उन्हें प्रेरित करना भी इस विज्ञापन का उद्देश्य होता है।
सामुदायिक विकास सुधार संबंधित सूचनाएं दी जाती है, अंतरराष्ट्रीय सद्भाव संबंधित सूचनाएं दी जाती वन्य प्राणी की रक्षा के संदर्भ में सूचनाएं दी जाती है। वन्य प्राणी की रक्षा के संदर्भ में सूचनाएं दी जाती है। आजकल यातायात की बहुत बड़ी समस्या है तो यातायात की सुरक्षा के संदर्भ में सूचनाएं दी जाती है। तो यह सारी सूचनाओं को प्रसारित करने वाला जो विज्ञापन होता है, उसे सूचना पर विज्ञापन कहा जाता है और यह सूचना पर विज्ञापन लोगों को सूचनाएं देकर सूचना प्रसारित करके लोगों में जागरूकता उत्पन्न करता है। तो इस दृष्टि से सूचना प्राप्त हुई ज्ञापन भी लोगों की दृष्टि से बहुत मायने रखता है।
विज्ञापन के कार्य
विज्ञापन की कार्य बहुत सारे होते हैं, जैसे कि निम्नलिखित है:
- नवीन वस्तुओं और सेवाओं की सूचना देना।
- किसी वस्तु की उपयोगिता एवं श्रेष्ठ बताते हुए उसकी और लोगों का ध्यान आकर्षित करना।
- उपभोक्ताओं मे वस्तु के प्रति रुचि तथा विश्वास उत्पन्न करना।
- उपभोक्ताओं की स्मृति को प्रभावित करना।
- विशेष छूट आदि की जानकारी देते हुए उपभोक्ता मांग में वृद्धि करना।
- किसी वस्तु की उपभोक्ता को बताते हुए लोगों को आकर्षित करना।
- उपभोक्ताओं को वस्तु के प्रति रुचि बढ़ाना या विश्वास बढ़ाना।
- विज्ञापन अन्य उत्पाद कंपनियों के उत्पादों की तुलनात्मक जानकारी देता है।
विज्ञापन बनाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
- वह आकर्षण होना चाहिए।
- प्रभावशाली तरीके से कम शब्दों में अधिक शब्द कहना चाहिए।
- कोई पंक्ति ऐसे लिखने चाहिए जो ‘स्लोगन’ की तरह हो और ध्यान आकर्षित करके याद रह जाने वाली हो।
- इसमें किसी चित्र या रेखाचित्र का प्रयोग करना चाहिए।
- मैं ध्यान रखते हुए यह बात महत्वपूर्ण है कि जो आपसे कहा गया है इस गोले में उस तरह से प्रस्तुत करें जो प्रवक्ता को प्रभावशाली लगे।
- प्रभावशाली बनाने के लिए रंगीन रंग का प्रयोग भी किया जाता है।
- बाजार में आई किसी नई वस्तु की जानकारी लोगों तक पहुंचाना।
- वस्तुओं की गुणवत्ता उपयोगिता व विशेषता की जानकारी लोगों तक पहुंचाना।
- प्रतिस्पर्धा में खड़े अन्य उत्पादों की तुलना में अपने उत्पाद को बेहतर बनाना।
- लोगों के मन मानसिकता को प्रभावित करना।
- उपभोक्ताओं का ध्यान उत्पाद के प्रति आकर्षित करना ताकि बिक्री ज्यादा से ज्यादा हो।
- ग्राहक को प्रोडक्ट के प्रति मन में भरोसा दिलाया जाता है।
विज्ञापन लेखन कैसे करें?
विज्ञापन बनाना कोई आसान काम नहीं है। विज्ञापन लेखन एक कला है, आर्ट हैं। तो हम जानेंगे एक अच्छा विज्ञापन किस प्रकार से बनाया जा सकता है और विज्ञापन बनाते समय हमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना होता है, तो चलिए हम जानते हैं एक अच्छा विज्ञापन के लिए हमें किन आवश्यक बातों को ध्यान में रखना है।
- सबसे पहले विज्ञापन बनाने के लिए एक बॉक्स बनाना है। वह बॉक्स आयताकार भी हो सकता है, वर्गाकार भी हो सकता है या आप एक गोल भी बना सकते हैं। यानी आपकी संरचनात्मक सोच है, आप अपना विज्ञापन किस आकार से बनाना चाहते हैं। चकोर पेज पर देना चाहते हैं, या आयताकार पेज पर देना चाहते हैं या फिर गोल घेरे में देना चाहते है। तो सामान्य अधिकारी के लोग क्या करते हैं। उसको वर्गाकार में लेते हैं तो हमें एक वर्गाकार बॉक्स बनाना है, उस बॉक्स बनाने के बाद, जिस वस्तु के विज्ञापन के बारे में बात की जा रही है, उसका नाम सेंटर में आएगा बिल्कुल बॉक्स के सेंटर में यानी मध्यम। बिल्कुल टॉप, बॉक्स के ऊपरी हिस्सा है उसका मध्य में लिखना है। मान लीजिए, हमें “दीया बाती” के नाम पर विज्ञापन तैयार करना है, विज्ञापन के सबसे ऊपर टॉप क्या लिखेंगे- दीया बाती। यदि हमें विज्ञापन “रूपा साड़ी” के नाम पर बनाना है, तो क्या लिखेंगे- “रूपा सारी” ठीक है।
- विज्ञापन में कहा गया है, सेल लगी है-साड़ी की सेल लगी है तो दाएं और बाएं तरफ लिखना है- “सेल सेल सेल सेल”। वह पंच टाइप की चीजें होते हैं, जो लोगों को अपनी और आकर्षित करती है। जब कोई पढ़ता है तो उसमें लिखा “सेल”, तो वह उस विज्ञापन को पूरा पढ़ना चाहता है। ‘सेल’ किस बात की ‘सेल’ है, क्या सेल है, हमें क्या फायदा हो रही है, किस बातों की ‘सेल’ है, या ‘बंपर धमाका’ जैसे गाड़ी हो दीपावली के टाइम और बिक्री की विवरण होती है, तब हम लिखते हैं “बंपर धमाका”, तो उससे क्या होता है ‘बंपर धमाका’ दीया है, गाड़ी पर कितना की छूट है, गाड़ी किस प्रकार मिलेगी, कितना किस्त देना होगा, डाउन पेमेंट की क्या होगा, इस प्रकार “खुशखबरी खुशखबरी खुशखबरी”। तो ऐसे शब्द होते हैं, जो लोगों को आकर्षित करते हैं। लेकिन इन शब्द को प्रयोग हम वही करेंगे, जहां इनकी जरूरत हो, अगर आप अपना पुराना घर बेच रहे हैं, तब आप यह थोड़ी ना लिखेंगे, “बंपर सेल”, “खुशखबरी” इन तीन तरह का वर्ड का प्रयोग नहीं करना है।
- बाएं और मध्य में विज्ञापित वस्तु का उल्लेख करना है अर्थात जैसे आप की कॉपी है, आपके सामने वह आपका उल्टा हाथ है, बाया हाथ है उस तरफ, जो हमारे वस्तु विज्ञापन हैं, मान लीजिए “दीया बाती की गुण” है। हम उसके बाएं तरफ लिखेंगे, जैसे ‘चलने में मजबूत टिकाऊ फैंसी रेडीमेड उचित रेट पर उपलब्ध है’। उसके गुण हो गई इसे कहा लिखे बाएं तरफ लिखना है।
- दाहिनी और मध्य में वस्तु का चित्र देखना चाहिए जो हमारा सीधा हाथ है या तो उस तरफ चित्र बना दीजिए या मध्य में चित्र बना दीजिए साड़ी चप्पल दो से चार होना चाहिए किस से क्या होता है हमारा विज्ञापन आकर्षित बनता है और लोग उसे देखते ही देखते रह जाते हैं उसे अच्छा लगता है उनको पढ़ना चाहते हैं।
- स्टॉक सीमित जल्द करें जैसे पीड़ित शब्द का प्रयोग किसी डिजाइन में होना चाहिए यानी हम साड़ी की बात कर रहे थे कि हर दुकान पर उपलब्ध है या यही सेल है तो स्टॉक लिमिट है स्टॉक सीमित है जल्दी करें नहीं तो साड़ी बिक जाएगी सेल खत्म हो जाएगा स्टॉक सीमित है।
- मुफ्त मिलने वाले सामानों का झूठ का उल्लेख पूरा करना चाहिए मान लीजिए कि आप रूपा साड़ी दो बड़े एक मुफ्त दो साड़ी पर एक फैंसी साड़ी मिलेगी इस तरह के शब्द का प्रयोग करेंगे।
- ऊपर जगह देखते ही एक तुकबंदी जिसमें पढ़ने वाला आकर्षित हो जाए जैसे कयामत से कयामत आई है आज ना जाने किस-किस की मौत आई है। मेरी जान आज फिर लाल साड़ी पहन आई है। या यूं तो हर कपड़े में खूबसूरत दिखती है पर साड़ी में तो हद ही पार कर देती है। इस तरह की तुकबंदी का प्रयोग करते हैं।
बॉक्स के नीचे छोटा सा एक बॉक्स बनाकर लंबा में पूरा जाएगा बॉक्स के सटीक तरह ठीक है। हम वहां लिखेंगे जैसे हमारा पता सामान खरीदने के लिए संपर्क करें फिर अपना पूरा नंबर लिख देंगे, उसके बाद यदि कोई दुकान का पता लिखा उसे भी लिखना जैसे कि उपभोक्ता देखते ही आकर्षित हो जाए।
- सूचना लेखन (प्रकार, प्रारूप व उदाहरण)
- संदेश लेखन (प्रारूप और उदाहरण)
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शोध का अर्थ एवं परिभाषा | शोध के प्रकार महत्व एवं उद्देश्य.
शोध का अर्थ एवं परिभाषा | शोध के प्रकार महत्व एवं उद्देश्य शोध शब्द का अर्थ है खोज करना, पता लगाना या अनुसंधान करना। यह एक व्यवस्थित और वैज्ञानिक प्र
शोध का अर्थ
शोध की परिभाषा.
- डॉ. दशरथ सिंह के अनुसार- "सामान्यतया शोध ज्ञान के अज्ञात और अपरिचित तथ्यों के आविष्कार की वैज्ञानिक प्रक्रिया है। शोध के लिए तथ्यों के आंकलन और मूल्यांकन के साथ ही नए ज्ञान और नई दृष्टि के योग की आवश्यकता होती है।"
- डॉ. आर. खण्डेलवाल के अनुसार- “एक शब्द में शोध का चरम उद्देश्य मनुष्य को स्वरूप, सन्तुलित, सुखद और गतिशील बनाना है ।"
- डॉ. विमल मोहन वर्मा के अनुसार- “शोध नए तथ्यों की खोज ही नहीं उसकी तर्कसंगत व्याख्या है।"
- डॉ. नगेन्द्र के अनुसार- "अनेकता में एकता की सिद्धि ही सत्य है- इसी का अर्थ है- आत्मा का साक्षात्कार। अतः शोध का यह रूप सत्य की उपलब्धि अथवा आत्मा के साक्षात्कार के अधिक-से-अधिक निकट है।"
- रैडमैन और मोरी के अनुसार- "नवीन ज्ञान की प्राप्ति के व्यवस्थित प्रयत्न को हम शोध कहते हैं।"
- समन्वित रूप से ' डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने शोध का व्यापक विवेचन-विश्लेषण करते हुए कहा है कि, “रिसर्च में 'रि' उपसर्ग उतना पुनर्थक नहीं है जितना पौनः पुनीक अभिनिवेश और गम्भीर प्रयत्न का द्योतक है। स्थूल अर्थों में वह नवीन और विस्तृत तथ्यों का अनुसन्धान है, जिसको अंग्रेजी में 'डिस्कवरी ऑफ फैक्ट्स' कहते हैं और सूक्ष्म अर्थ में वह ज्ञात-साहित्य के पुनर्मूल्यांकन और नई व्याख्याओं का सूचक है।"
साहित्य में शोध के प्रकार
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- Political Science /
लोकतंत्र क्या है: अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, अवधारणा, गुण, दोष
- Updated on
- फरवरी 14, 2024
विद्यार्थी जीवन में अक्सर एक प्रश्न बड़ा सामान्य होता है कि लोकतंत्र क्या है? इस प्रश्न का उत्तर अगर आसान भाषा में ढूंढें तो यह कुछ इस प्रकार होगा कि “जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन” ही लोकतंत्र कहलाता है। लोकतंत्र शब्द बोलने में जितना सरल है उतना ही गहरा और गंभीर इसका अर्थ होता है। लोकतंत्र को डेमोक्रेटिक भी कहा जाता है, जो कि यूनानी भाषा के डेमोस (Demos) और कृतियां (Cratia) से मिलकर बना है। इसका अर्थ होता है लोग और शासन, शाब्दिक अर्थ में जनता का शासन। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो प्रजातंत्र एक ऐसी शासन प्रणाली है, जिसके अंतर्गत जनता अपनी इच्छा से निर्वाचन में आए हुए किसी भी दल को, अपना वोट देकर अपना प्रतिनिधि चुन सकती है और उनकी सरकार बना सकती है। इस ब्लॉग के माध्यम से आप loktantra kya hai से संबंधित संपूर्ण अथवा विस्तृत जानकारी प्राप्त कर पाएंगे।
This Blog Includes:
कई विचारों के अनुसार प्रजातंत्र क्या है, प्रजातंत्र से जुड़ी शब्दावली, प्रजातंत्र की परिभाषा, लोकतांत्रिक सरकार क्या है, स्वतंत्र, निष्पक्ष और लगातार चुनाव, अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व, संवैधानिक कानून के भीतर नियम, भाषण, अभिव्यक्ति और पसंद की स्वतंत्रता, संघीय अधिकार, परिषद की जिम्मेदारी, शिक्षा का अधिकार, संघ और संघ बनाने का अधिकार, सभी के लिए समान कानून, न्यायपालिका पर कोई नियंत्रण नहीं, लोकतन्त्र की अवधारणा, लोकतंत्र के पक्ष में तर्क, लोकतंत्र के विपक्ष में तर्क, विशुद्ध या प्रत्यक्ष लोकतंत्र, प्रतिनिधि सत्तात्मक या अप्रत्यक्ष लोकतंत्र, प्रजातंत्र के रूप, लोकतंत्र की सीमाएं क्या है, लोकतंत्र के मुख्य सिद्धांत , लोकतंत्र के गुण, लोकतंत्र के दोष, एक लोकतांत्रिक सरकार के फायदे और नुकसान, भारत में लोकतंत्र, केंद्र सरकार में सदनों का विभाजन, भारत में पार्टियों के प्रकार, लोकतंत्र की सफलता के लिए आवश्यक शर्तें, लोकतंत्र का महत्व, लोकतंत्र और तानाशाही के बीच अंतर क्या हैं, लोकतंत्र को तानाशाही से बेहतर क्यों माना जाता है, लोकतंत्र कक्षा 10, लोकतंत्र कक्षा 9, लोकतंत्र क्या है.
loktantra kya hai का जवाब जानने से पहले आपको इसके इतिहास के बारे में जान लेना चाहिए। इसके इतिहास पर प्रकाश डाला जाए तो अरस्तू ने प्रजातंत्र को एक विकृत शासन प्रणाली बताया था, जिसमें बहु संख्या निर्धन वर्ग अपने वर्ग के हित के लिए शासन पर आता है और भीडतंत्र का रूप धारण कर लेता है। साथ ही अरस्तू के अनुसार लोकतंत्र को राजनीति के नाम से जाना जाता है। लोकतंत्र “जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन है”। लोकतंत्र केवल राजनीतिक ,सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था का प्रकार ही नहीं बल्कि जीवन के प्रति विशेष दृष्टिकोण का भी नाम है। प्रजातंत्र में सभी व्यक्तियों को एक दूसरे के प्रति वैसा ही व्यवहार करना चाहिए, जैसा व्यवहार वह अपने प्रति पसंद करते हैं।
Loktantra kya hai इसको कुछ लोकप्रिय व्यक्तियों के विचारों से समझते हैं-
- ऐसी सरकार जहां की जनता शक्तिशाली हो।
- बहुत सारे लोगों का शासन।
- जनता का जनता के द्वारा जनता के लिए, इसे लोकतंत्र कहा जाता है-अब्राहम लिंकन।
- जिसमें जनता की सहभागिता हो उसे लोकतंत्र कहा जाता है-सिले।
- राज्य के शासन शक्ति समुदाय में एक सम लिस्ट के रूप में निहित, इसे लोकतंत्र कहा जाता है- ब्राइस।
- तर्कबुद्धिवादी लोकतंत्र –> सिमोन चैम्बर्स
- संघर्षपूर्ण लोकतंत्र –> फिलिप पेटिट
- विमर्शी लोकतंत्र –> जॉन ड्राइजेक
- संचरीय लोकतंत्र –> आइरिश मेरियन यंग
Loktantra kya hai जानने के साथ-साथ यह जानना भी आवश्यक है कि प्रजातंत्र के इतने रूप हैं कि इसकी एक निश्चित परिभाषा देना बहुत ही कठिन है। समय, परिस्थितियों, विभिन्न हितों की आवश्यकता के अनुसार विभिन्न युगों के विचारकों ने लोकतंत्र की विभिन्न परिभाषाएं दी गई हैं।
निम्नलिखित परिभाषा और को ध्यान से देखें:
- यूनानी दार्शनिक वलीआन के अनुसार ने लोकतंत्र की यह परिभाषा दी है कि, “लोकतंत्र वह होगा जो जनता का, जनता के द्वारा हो, जनता के लिए हो।”
- लावेल के अनुसार यह परिभाषा दी है कि, “लोकतंत्र शासन के क्षेत्र में केवल एक प्रयोग है।
- अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने इस परिभाषा को इस प्रकार दोहराया है यह बताया है कि “लोकतंत्र जनता का, जनता के लिए तथा जनता द्वारा शासन है।”
- लॉर्ड ब्राइस यह परिभाषा दी है कि, “प्रजातंत्र वह शासन प्रणाली है, जिसमें की शासन शक्ति एक विशेष वर्ग या वर्गों में निहित ना रहकर समाज के सदस्य में निहित होती है।”
- जॉनसन यह परिभाषा दी है कि, “प्रजातंत्र शासन का वह रूप है जिसमें प्रभुसत्ता जनता में सामूहिक रूप से निहित हो।”
- सिले ने यह परिभाषा दी है कि, “प्रजातंत्र वह शासन है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति का भाग होता है।”
- ऑस्टिन यह परिभाषा दी है कि, “प्रजातंत्र वह शासन व्यवस्था है जिसमें जनता का अपेक्षाकृत बड़ा भाग शासक होता है।”
- सारटोरी यह परिभाषा दी है कि, “लोकतंत्रीय व्यवस्था वह है जो सरकार को उत्तरदायी तथा नियंत्रणकारी बनाती हो तथा जिसकी प्रभावकारिता मुख्यत: इसके नेतृत्व की योग्यता तथा कार्यक्षमता पर निर्भर है।”
प्रजातंत्र एक ऐसी शासन व्यवस्था है जिसमें जनता अपना शासक खुद चुनती है। लोकतांत्रिक सरकार का तात्पर्य है कि ऐसी सरकार जिसे जनता द्वारा, जनता के लिए और जनता के हित में चुना जाता है उसे ही लोकतांत्रिक सरकार कहते हैं।
प्रजातंत्र की विशेषताएं
Loktantra kya hai जानने से पहले यह भी जानिए कि प्रजातंत्र की विशेषताएं क्या हैं, जैसे कि-
- व्यस्क मताधिकार
- जनता की इच्छा सवोचच है।
- उत्तरदाई सरकार।
- जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधि सरकार
- बहुमत द्वारा निर्णय
- निष्पक्ष तथा समय बधद चुनाव
- सरकार के निर्णय में सलाह दबाव तथा जनमन द्वारा जनता का हिस्सा
- निष्पक्ष न्यायपालिका तथा विधि का शासन
- विभिन्न राजनीतिक दलों तथा दबाव समूह की उपस्थिति
- समिति तथा संवैधानिक सरकार
- जनता के अधिकार तथा स्वतंत्रता की रक्षा सरकार का कर्तव्य होना
प्रजातंत्र की प्राथमिक विशेषताओं के बीच, दुनिया के प्रत्येक लोकतांत्रिक देश को किसी न किसी रूप में और वह भी समय-समय पर चुनाव कराना चाहिए। ये चुनाव जनता की आवाज हैं, प्राथमिक तरीका जिसके द्वारा वे अपनी इच्छा के अनुसार सरकार को नियंत्रित और बदल सकते हैं। इन चुनावों में भी देश के प्रत्येक वयस्क नागरिक को मतदान का अधिकार प्रदान करने के संदर्भ में पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता होनी चाहिए।
जाति, लिंग, जाति, पंथ, राजनीतिक विचार, जनसांख्यिकीय या किसी अन्य संरचनात्मक अंतर या भेदभाव के आधार पर कोई पक्षपात या उत्पीड़न नहीं होना चाहिए। प्रत्येक वोट का मूल्य होना चाहिए, और प्रत्येक वोट का एक मूल्य होना चाहिए, अर्थात इसे निर्वाचित प्रतिनिधियों में समान महत्व रखना चाहिए। इस मानदंड को पूरा करना हर लोकतंत्र के लिए सर्वोपरि है, क्योंकि आज भी कुछ देश महिलाओं या वैकल्पिक कामुकता वाले लोगों को मतदान का अधिकार नहीं देते हैं। यह उन्हें मौलिक स्तर पर लोकतंत्र होने से अयोग्य ठहराता है और चुनाव की भावना को अर्थहीन बनाता है।
दुनिया के हर देश में किसी न किसी आधार पर अल्पसंख्यक हैं। अपने प्रत्येक देशवासियों को समान नागरिकता का अधिकार देना लोकतंत्र की प्रमुख विशेषताओं में से एक है। अल्पसंख्यकों के बहिष्कार या उत्पीड़न से घृणा की जानी चाहिए, और देश के कानूनी अधिकार को हर संभव तरीके से जीवन और आजीविका की समान स्थिति रखने में उनकी सहायता करनी चाहिए। दुनिया भर के कुछ लोकतंत्र अल्पसंख्यक समूहों के लिए उनकी जनसंख्या के आकार के अनुपात में प्रतिनिधि पदों को आरक्षित करते हैं जबकि शेष पदों को विवाद के लिए मुक्त रखते हैं।
एक लोकतांत्रिक देश में सत्ताधारी सरकार सर्वोपरि नहीं होती है। इसके बजाय, यह विधायी निकाय है जो देश के संविधान द्वारा निर्धारित सर्वोच्च शक्ति रखता है। चूंकि एक नई सरकार एक निश्चित अवधि के बाद चुनी जाती है, उसके पास केवल कुछ स्थापित कानूनों में संशोधन करते हुए निर्णय लेने और उन्हें लागू करने की शक्तियां होती हैं। ऐसी सभी गतिविधियाँ देश के कानून की देखरेख में ही की जा सकती हैं, जो सत्ताधारी सरकार से स्वतंत्र होती है और देश के लोगों द्वारा उनकी योग्यता और कौशल के आधार पर पदों पर कब्जा किया जाता है।
एक प्रजातंत्र जो जनता की आवाज को दबाता या रोकता है, वह वैध नहीं है, लोकतंत्र की बुनियादी विशेषताओं में से एक का उल्लंघन करता है। जनता की आवाज, भले ही वह सत्ताधारी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हो, को स्वतंत्र रूप से बहने देना चाहिए, लोगों को उत्पीड़न के डर के बिना, अपने विचारों और अभिव्यक्तियों को तैयार करने देना चाहिए। उसी तर्ज पर, एक लोकतांत्रिक देश के नागरिक को अपने विवेक के आधार पर स्वतंत्र निर्णय लेने में सक्षम होना चाहिए, जब तक कि वे देश के कानूनों या किसी अन्य व्यक्ति के लिए खतरा पैदा न करें। कार्यों की यह स्वतंत्रता ही लोकतंत्र को फलदायी बनाती है। किसी व्यक्ति को जो गलत लगता है उसका विरोध करना एक कानूनी अधिकार होना चाहिए, क्योंकि मूल रूप से यही एकमात्र चीज है जो सत्ताधारी दलों को उनके कार्यों और नीतियों से रोके रखती है।
प्रजातंत्र की आवश्यक विशेषताओं में से एक राज्य सरकार को स्वतंत्र रूप से प्रदर्शन करने और जनता के लाभ के लिए नियमों और विनियमों को लागू करने का अधिकार देता है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 1 राज्यों को केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बिना कुछ निर्णय लेने की अनुमति देता है। यदि कोई कानून केंद्र सरकार द्वारा पारित किया जाता है तो हर राज्य को उसका पालन करना होता है।
आम जनता के हित और हित में काम करना चुनी हुई सरकार का कर्तव्य और जिम्मेदारी है। निर्वाचित पार्टी की पूरी परिषद उनके सत्र के तहत किए गए सभी कृत्यों के लिए जिम्मेदार है, न कि केवल एक नेता। प्रजातंत्र पूरे परिषद द्वारा निर्णय लेने की अनुमति देता है, न कि किसी एक व्यक्ति को।
प्रजातंत्र सभी नागरिकों को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार देता है। शिक्षा में जाति, रंग, पंथ या नस्ल के आधार पर कोई पक्षपात नहीं है और भारत के प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। यह अधिनियम 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को बुनियादी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति देता है।
भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है जो सभी व्यक्तियों को अपने स्वयं के संघ या संघ बनाने की अनुमति देता है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1) सभी भारतीय नागरिकों को “संगठन, या संघ या सहकारी समितियां बनाने का अधिकार प्रदान करता है” यह प्रत्येक व्यक्ति के मूल अधिकारों में से एक है और समुदाय के अन्य सदस्यों के साथ संवाद करने की आवश्यकता है या समाज।
प्रजातंत्र समाज में समानता देता है यानि सभी के लिए समान अधिकार और कानून। किसी भी सेलिब्रिटी, राजनेता या सरकारी निकाय के साथ विशेष व्यवहार नहीं किया जाएगा। देश के आम लोगों पर लागू कानून मशहूर हस्तियों या प्रसिद्ध व्यक्तियों पर भी लागू होगा। भारत में हर परिस्थिति में कानून सभी लोगों के लिए समान है।
भारत में न्यायपालिका प्रणाली या अदालतें एक स्वायत्त निकाय हैं और किसी भी सरकारी संगठन या पार्टी के नियंत्रण में नहीं हैं। भारत के न्यायपालिका निकाय द्वारा पारित राय, कानून या कार्य किसी भी विधायिका प्राधिकरण और उनके स्वतंत्र निर्णय से प्रभावित नहीं होते हैं।
लोकतन्त्र की पूर्णतः सही और सर्वमान्य परिभाषा देना कठिन है। क्रैन्स्टन का लोकतंत्र के बारे में कहना है कि लोकतन्त्र के सम्बन्ध में अलग-अलग धारणाएँ है। लिण्सेट के अनुसार, “लोकतन्त्र एक ऐसी राजनीतिक प्रणाली है जो पदाधिकारियों को बदल देने के नियमित सांविधानिक अवसर प्रदान करती है और एक ऐसे रचनातंत्र का प्रावधान करती है जिसके तहत जनसंख्या का एक विशाल हिस्सा राजनीतिक प्रभार प्राप्त करने के इच्छुक प्रतियोगियों में से मनोनुकूल चयन कर महत्त्वपूर्ण निर्णयों को प्रभावित करती है।”
मैक्फर्सन के अनुसार ‘एक मात्र ऐसा रचनातन्त्र माना है जिसमें सरकारों को चयनित और प्राधिकृत किया जाता है अथवा किसी अन्य रूप में कानून बनाये और निर्णय लिए जाते हैं।‘
शूप्टर के अनुसार, ‘लोकतान्त्रिक विधि राजनीतिक निर्णय लेने हेतु ऐसी संस्थागत व्यवस्था है जो जनता की सामान्य इच्छा को क्रियान्वित करने हेतु तत्पर लोगों को चयनित कर सामान्य हित को साधने का कार्य करती है। लोकतन्त्र की अवधारणा के सम्बन्ध में प्रमुख सिद्धान्त निम्नलिखित हैं:
- लोकतन्त्र का पुरातन उदारवादी सिद्धान्त
- लोकतन्त्र का अभिजनवादी सिद्धान्त
- लोकतन्त्र का बहुलवादी सिद्धान्त
- प्रतिभागी लोकतन्त्र का सिद्धान्त
- लोकतन्त्र का मार्क्सवादी सिद्धान्त अथवा जनता का लोकतन्त्र
प्रजातंत्र के पक्ष में तर्क इस प्रकार हैं:
- एक लोकतांत्रिक सरकार को सबसे बेहतर सरकार माना जाता है, जो देश को विकास की ओर ले जा सकती है।
- प्रजातंत्र मतभेदों और संघर्षों से निपटने का तरीका प्रदान करता है।
- लोकतांत्रिक निर्णय में हमेशा चर्चाएं और बैठकें होती हैं। अतः लोकतंत्र, निर्णय लेने की गुणवत्ता पर भी सुधार करता है।
- प्रजातंत्र राजनीतिक समानता के सिद्धांत पर आधारित है, इसलिए यह नागरिकों की गरिमा को बढ़ाता है।
- लोकतंत्र अपनी गलतियों को सुधारने की अनुमति देता है।
Loktantra kya hai के बारे में जानने के बाद प्रजातंत्र के विपक्ष में तर्क इस प्रकार हैं:
- लोकतंत्र में नेता बदलते रहते हैं, जिससे अस्थिरता अक्सर होने लगती है।
- जनता के द्वारा चुने गए नेताओं को लोगों के सर्वोत्तम हितों का पता नहीं होता है, जिसके परिणाम स्वरूप गलत निर्णय लिए जा सकते हैं।
- लोकतंत्र में राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और सत्ता पाने की भावना बढ़ती है, जिसमें नैतिकता की कोई गुंजाइश नहीं होती है।
- लोकतंत्र चुनावी प्रतिस्पर्धा पर आधारित है, इसलिए यह भ्रष्टाचार की ओर ले जाता है।
- लोकतंत्र में बहुत सारे लोगों से परामर्श लेना पड़ता है, जिससे उचित निर्णय लेने में देरी होती है।
लोकतंत्र के प्रकार (संक्षिप्त में)
Loktantra kya hai जानने के साथ आपको प्रजातंत्र के मुख्य रूप से दो प्रकार माने जाते हैं, जो कि इस प्रकार है-
वर्तमान में स्विट्जरलैंड में प्रत्यक्ष लोकतंत्र चलता है। इस प्रकार का लोकतंत्र प्राचीन यूनान के नगर राज्यों में पाया जाता था। प्रत्यक्ष लोकतंत्र से तात्पर्य है कि जिसमें देश के सभी नागरिक प्रत्यक्ष रूप से राज्य कार्य में भाग लेते हैं। इस प्रकार उनके विचार विमर्श से ही कोई फैसला लिया जाता है । प्रसिद्ध दार्शनिक रूसो ने ऐस लोकतंत्र को ही आदर्श व्यवस्था माना है।
कई देशों में आज का शासन प्रतिनिधि सत्तात्मक या अप्रत्यक्ष लोकतंत्र है जिसमें जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा निर्णय लिया जाता है इसमें देश की जनता सिर्फ अपना प्रतिनिधि चुनने में अपना योगदान देती है वह किसी शासन व्यवस्था और कानून निर्धारण लेने में भागीदारी नहीं निभाती है। इसे ही प्रतिनिधि सत्तात्मक या अप्रत्यक्ष लोकतंत्र कहते हैं।
अन्य लोकतंत्र के प्रकार
- सत्तावादी लोकतंत्र
- राष्ट्रपति लोकतंत्र
- संसदीय लोकतंत्र (संसदीय धर्मनिरपेक्षता)
- भागीदारी प्रजातंत्र
- सामाजिक लोकतंत्र
- इस्लामी लोकतंत्र
Loktantra kya hai जानने के लिए यह जानना आवश्यक है कि लोकतंत्र के दो रूप होते हैं, जैसे-
- प्रत्यक्ष लोकतंत्र
- अप्रत्यक्ष लोकतंत्र
प्रत्यक्ष लोकतंत्र में जनता खुद कानून बनाती है और उसे लागू करती है ,प्राचीन यूनान में अपनाया गया था। अप्रत्यक्ष लोकतंत्र में जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनती है और वह प्रतिनिधि कानून बनाता है ज्यादातर देशों में अप्रत्यक्ष लोकतंत्र को अपनाया गया है। प्रत्यक्ष लोकतंत्र को आसानी से नहीं अपनाया जा सकता, वह केवल वही अपनाया जा सकता है जहां की जनसंख्या कम होती है।प्राचीन समय में जनसंख्या 500 से 600 लोगों की हुआ करती थी, इसलिए आपस में ही मिलकर कानून बनाते थे और उसे लागू करते थे। परंतु आज के समय में कोई भी छोटे से छोटा देश या राज्य ऐसा बिल्कुल नहीं कर सकता,अभी के समय में राज्य या देश की संख्या लाखों और करोड़ों में है। इसलिए अभी के समय में अप्रत्यक्ष लोकतंत्र को ज्यादा अपनाया गया है। कोई भी जगह पर लोग एक साथ इकट्ठा होकर अपना कानून नहीं बना सकते या उस पर निर्णय नहीं ले सकता। अप्रत्यक्ष लोकतंत्र केवल उसे कहा जाता है जहां देश के राज्य की जनता अपने मनपसंद प्रतिनिधियों को चुनती है और वह प्रतिनिधि देश के लिए कानून बनाते हैं और उसे लागू करवाते हैं।
प्रजातंत्र में प्रतिनिधि जनता के द्वारा अपने हित के अनुसार चुना जाता है। जनता जब चाहे तख्ता पलट कर सकती है। किसी भी योजना के सफल या असफल होने पर सरकार जनता के प्रति जवाबदेही होती है। लोकतांत्रिक सरकार में कोई व्यक्ति स्वतंत्र रूप से निर्णय नहीं ले सकता है।
Loktantra kya hai जानने के लिए यह जानना आवश्यक है कि लोकतंत्र के मुख्य सिद्धांत क्या-क्या हैं, जो इस प्रकार हैं:
- लोकतंत्र का पुरातन उदारवादी सिद्धांत- लोकतंत्र की उदारवादी परम्परा में स्वतंत्रता, समानता, अधिकार, धर्मनिरपेक्षता और न्याय जैसी अवधारणाओं का प्रमुख स्थान रहा है
- लोकतंत्र का बहुलवादी सिद्धांत – बहुलवाद सत्ता को समाज में एक छोटे से समूह तक सीमित करने के बदले उसे प्रसारित और विकेन्द्रीकृत कर देता है।
- लोकतंत्र का सहभागिता सिद्धांत – इस सिद्धांत ने आम जनता की राजनीतिक कार्यों में भागीदारी को समर्थन किया जैसे – मतदान करना, राजनीतिक दलों की सदस्यता, चुनावों मे अभियान कार्य।
- लोकतंत्र का मार्क्सवादी सिद्धांत – मार्क्सवादी सिद्धांत के अनुसार भूमि, कल कारखाने इत्यादि पर जनता का स्वामित्व होता है। राज्य सारी प्रोडक्टिव कैपिटल एसेट्स को अपने नियंत्रण में ले लेता है और उत्पादन-क्षमता में तेजी से वृद्धि होती है। इसमें प्रत्येक नागरिक के लिए आगे बढ़ने के समान अवसर होते हैं।
Loktantra kya hai जानने के लिए यह जानना आवश्यक है कि लोकतंत्र के गुण क्या-क्या हैं-
प्रजातंत्र को जॉन स्टूअर्ट मिल का शासन बताया है। इन्होंने अपने सुप्रसिद्ध ग्रंथ रिप्रेजेंटेटिव गवर्नमेंट में लोकतंत्र के समर्थन को प्रस्तुत किया कि किसी भी सरकार में गुण दोषों का मूल्यांकन करने के लिए दो मापदंडों की आवश्यकता होती है । उसकी पहले कसोटी यह है कि क्या सरकार का शासन उत्तम है अथवा नहीं, उसकी दूसरी कसौटी है कि उसके शासन का प्रजा के चरित्र निर्माण पर अच्छा अथवा बुरा प्रभाव पड़ता है।
- उच्च आदर्शों पर आधारित
- जनकल्याण पर आधारित
- सार्वजनिक शिक्षण
- क्रांति से सुरक्षा
- परिवर्तनशील शासन व्यवस्था
- देश प्रेम की भावना का विकास
- चंदा में अपना विश्वास एवं उत्तरदायित्व की भावना का विकास
Loktantra kya hai जानने के लिए यह जानना आवश्यक है कि लोकतंत्र के दोष क्या-क्या हैं-
- लोकतंत्र अयोग्य लोगों का शासन है
- बहुमत द्वारा निर्णय युक्तिसंगत नहीं
- प्रजातंत्र गुणों पर नहीं बल्कि संख्या पर बल देता है
- पेशेवर राजनीतिक लोग का बहुमूल्य
- खर्चीला शासन
- संकट काल के लिए अनुपयुक्त
- उग्र दलबंदी
Loktantra kya hai को और अच्छे से जानने के लिए नीचे इसके फायदे और नुकसान दिए गए हैं-
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है जहां राष्ट्रपति राज्य के प्रमुख के रूप में कार्य करता है। प्रधान मंत्री देश की केंद्र सरकार के प्रमुख के रूप में कार्य करता है। केंद्र सरकार के अलावा, देश के बेहतर शासन में सहायता के लिए प्रत्येक राज्य के लिए राज्य सरकारें हैं। केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों संविधान के ढांचे के भीतर काम करती हैं। भारत में लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों में से एक राजनीतिक समानता पर आधारित है, और इसलिए देश में कोई भी व्यक्ति पार्टी चला सकता है और चुनाव लड़ सकता है।
भारत में लोकतंत्र में एक द्विसदनीय विधायिका है, जो दो सदनों अर्थात् उच्च सदन या राज्य सभा और निचले सदन या लोकसभा का निर्माण करती है। लोकसभा के सदस्य केंद्र सरकार के चुनावों के माध्यम से चुने जाते हैं जिसमें पूरे देश के लोगों ने अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए सदस्यों का चुनाव करने के लिए अपना वोट डाला। अभी तक, लोकसभा में कुल 543 सीटें हैं जो देश के 543 निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती हैं। 543 सीटों में से बहुमत प्राप्त पार्टी की सरकार बनाती है। दूसरे बहुमत वाली पार्टी विपक्षी पार्टी बनाती है। राज्य सभा के 245 सदस्यों में से 233 सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से राज्य विधान सभा के प्रतिनिधियों द्वारा चुने जाते हैं। भारत के राष्ट्रपति शेष 12 सदस्यों को कला, साहित्य, खेल आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए चुनते हैं।
भारत में लोकतंत्र की प्रणाली में एक बहुदलीय प्रणाली है। भारत में सभी दलों को एक राष्ट्रीय पार्टी या एक राज्य पार्टी के रूप में वर्गीकृत किया जाता है यदि वे विशिष्ट योग्यताएं स्पष्ट करते हैं। साथ ही, किसी पार्टी को चुनाव लड़ने के लिए, उसे भारत के चुनाव आयोग के साथ पंजीकृत होना चाहिए। यह एक स्वतंत्र निकाय है जिसे सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।
Loktantra kya hai जानने के साथ-साथ इसकी आवश्यक शर्तों के बारे में जानिए-
- प्रजातंत्र की सफलता में सबसे महत्वपूर्ण बाधा अशिक्षा की है ,इसका यह अर्थ है कि प्रजातंत्र की सफलता के लिए आवश्यक है कि नागरिक को शिक्षित होना चाहिए जागृत करना और राजनीतिक जीवन में रुचि रखने वाला हो।
- प्रजातंत्र का आर्थिक रूप से यह भी कार्य होता है कि देश में शांति और सुव्यवस्था का वातावरण बनाए रखें।
- लोकतंत्र की सफलता के लिए आर्थिक समानता और सामाजिक न्याय की स्थापना करना भी बहुत ही आवश्यक है ।जनता की न्यूनतम आवश्यकताएं पूरी करनी चाहिए ताकि वह भी बिना किसी दबाव के शासन के कार्यों में भाग ले सकें।
- निर्वाचन समय बंद एवं निष्पक्ष होना यह लोकतंत्र की सफलता के लिए बहुत ही आवश्यक है।
- सामाजिक स्तर पर विशेष अधिकारों की संपत्ति होना बहुत ही आवश्यक है लोकतंत्र की सफलता के लिए।
- प्रजातंत्र की रक्षा एवं सफलता संरक्षण हेतु के निष्पक्ष न्यायपालिका होनी बहुत आवश्यक है लोकतंत्र की सफलता के लिए अहम भूमिका निभाता है।
- जनमत निर्माण के साधन जैसे समाचार पत्र ,पत्रिकाएं सभा संगठन ऐसी कई सारे प्रकार पर किसी वर्ग विशेष का अधिकार ना हो, प्रकाश स्वतंत्र और ईमानदार प्रेम के माध्यम से जनता और शासन के बीच स्वस्थ संबंध कायम बनाए रखना लोकतंत्र की सफलता के लिए यह भी बहुत ही आवश्यक है।
- स्थानीय स्वशासन का विकास और प्राथमिक पाठशाला होनी अभी बहुत ही आवश्यक है।
- प्रजातंत्र के कट्टर आलोचक लेकर तथा हेंडरी मैंने बहुत के शासन को सीमा के भीतर रखने के लिए लिखित संविधान का सुझाव भी दिया था जो लोकतंत्र में अहम भूमिका निभाते हैं।
- प्रभावशाली विरोधी कादल और शक्तिशाली अभाव में लोकतंत्र सरकार निर्गुण और लापरवाह हो जाती है साथ ही सत्ता का दुरुपयोग करने लगती है यह भी लोकतंत्र का सफलता के लिए बहुत ही आवश्यक है।
लोकतंत्रात्मक शासन अनेक प्रकार की आलोचना और दोषों के होते हुए लोकतंत्र का अपना एक अलग ही महत्व है।
- लोगों की जरूरत के अनुरूप आचरण करने के मामले में लोकतांत्रिक शासन प्रणाली किसी अन्य शासन प्रणाली से बहुत ही बेहतर है।
- लोकतांत्रिक शासन पद्धति बाकी सभी पद्धति से बेहतर है क्योंकि यह आशंका अधिक जवाबदेही वाला स्वरूप होता है।
- बेहतर निर्णय देने की संभावना बढ़ाने के लिए लोकतंत्र अलग ही भूमिका निभाता है।
- लोकतंत्र मतभेदों और टकराव को संभलने का तरीका अलग ही तरीके से उपलब्ध कराता है।
- लोकतंत्र जनता एवं नागरिकों का सम्मान बढ़ाता है।
- लोकतांत्रिक व्यवस्था दूसरों से बेहतर है क्योंकि इसमें हमें अपनी गलती ठीक करने का अवसर भी दिया जाता है।
Loktantra kya hai जानने के साथ-साथ लोकतंत्र और तानाशाही के बीच अंतर क्या हैं, यह जान लेते हैं-
जैसा कि आप पहले से ही जानते होंगे, सरकारों के ये दो रूप प्रकृति में काफी विपरीत हैं। यहां हम आपकी समझ के लिए लोकतंत्र और तानाशाही के बीच के अंतर को बहुत संक्षेप में समझाएंगे।
- लोकतंत्र और तानाशाही के बीच महत्वपूर्ण अंतर सरकार में बदलाव है। तानाशाही में बिना किसी चुनाव के एक पार्टी का शासन होता है, जबकि लोकतंत्र में नियमित और लगातार चुनाव होते हैं जिसमें सभी नागरिकों के वोट शामिल होते हैं।
- एक लोकतंत्र में, लोगों की आवाज शासन के मामलों में प्राथमिक प्राथमिकता लेती है, जबकि एक तानाशाही में लोगों को प्रभावी ढंग से खामोश कर दिया जाता है और सरकार के लिए उनकी कोई प्रासंगिकता नहीं होती है। यह लोकतंत्र और तानाशाही के बीच एक बड़ा अंतर है।
- लोकतंत्र और तानाशाही के बीच एक और अंतर सरकार की जवाबदेही है जो लोकतंत्र की प्राथमिक विशेषता है। एक तानाशाही में, सरकार नीतियों और विनियमों को लागू करने के लिए अनियंत्रित शक्ति रखते हुए, अपनी इच्छा और इच्छा के अनुसार व्यवहार करती है।
एक महत्वपूर्ण प्रश्न जो आप इन दोनों राजनीतिक व्यवस्थाओं के बीच के अंतरों को जानकर आश्चर्यचकित हो सकते हैं, वह यह है कि लोकतंत्र को तानाशाही से बेहतर क्यों माना जाता है। यह केवल इसलिए है क्योंकि लोकतंत्र लोगों को अधिक मौलिक और मानव अधिकार देता है और जनता पर ध्यान केंद्रित करता है, न कि तानाशाही जो पूरी तरह से वही करती है जो उसका तानाशाह करना चाहता है। आइए प्रमुख कारणों का पता लगाएं कि लोकतंत्र को तानाशाही से बेहतर क्यों माना जाता है:
- लोकतंत्र देश और उसके नागरिकों में समानता की सुविधा प्रदान करता है। सभी को समान अधिकार प्रदान किए गए हैं, उनमें से सबसे महत्वपूर्ण अपने प्रतिनिधि चुनने का अधिकार है। हालाँकि, तानाशाही किसी देश के तानाशाह के नियमों और इच्छाओं के आदेशों का आँख बंद करके पालन करती है।
- लोकतंत्र में संघर्षों को हल करने के लिए उचित तरीके और तरीके शामिल हैं, चाहे देश के भीतर या देश के बाहर, जबकि तानाशाही में अपने नागरिकों के बीच संघर्ष समाधान के लिए ऐसी कोई विशेषता नहीं है।
- राजनीतिक दृष्टि से, लोकतंत्र को वैध सरकार का एक रूप माना जाता है जहां कुछ व्यक्ति लोगों के प्रतिनिधि होते हैं और नागरिकों को भी सामरी के रूप में कार्य करने के लिए अपेक्षित अधिकार और कर्तव्य मिलते हैं। दूसरी ओर, तानाशाही के पास प्रतिनिधि चुनने की कोई प्रक्रिया नहीं होती है, इस प्रकार तानाशाह के साथ पड़ने और अपने नागरिकों को बिना किसी प्रतिनिधि के छोड़ने की संभावना अधिक होती है।
- लोकतंत्र गुणवत्तापूर्ण निर्णय लेने, नए कानूनों को लागू करने, संघर्ष के समाधान, अपने नागरिकों के बीच संकट को हल करने के साथ-साथ अपने जनता के सामने आने वाले मुद्दों और समस्याओं के समय पर समाधान के लिए नियमों और विनियमों का एक सेट स्थापित करता है। दूसरी ओर, तानाशाही केवल बिना किसी आपत्ति के शासक का आँख बंद करके पालन करने, नियमों पर सवाल उठाने की गुंजाइश या यहाँ तक कि जनता के सामने आने वाले मुद्दों को समझने में विश्वास करती है।
- लोकतंत्र एक जवाबदेह राजनीतिक व्यवस्था भी है क्योंकि सरकार को अपने फैसलों के लिए जवाबदेह ठहराया जा सकता है और प्रदान किए गए अधिकारों के साथ नागरिक सवाल कर सकते हैं और पूछताछ कर सकते हैं कि निर्णय लेने के मामले में क्या हो रहा है। तानाशाही उन लोगों के एक निश्चित समूह तक ही सीमित रहती है जिन पर वास्तव में भरोसा नहीं किया जा सकता है और उन्हें जवाबदेह माना जाता है क्योंकि उनके अपने निजी हितों को जनता के लिए फायदेमंद माना जाता है।
पाठ- 3 लोकतंत्र और विविधता लोकतांत्रिक राजनीती
- सवाल: Democracy’ शब्द ग्रीक भाषा के किन शब्दों के संयोग से बना है और उसका प्रचलित व स्वीकृत अर्थ क्या है? उत्तर: अंग्रेजी शब्द Democracy का हिन्दी अनुवाद है-लोकतंत्र, जनतंत्र अथवा प्रजातंत्र। अंग्रेजी शब्द Democracy ग्रीक भाषा के दो शब्दों ‘डेमोस’ तथा ‘क्रेटिया’ के संयोग से बना है। यद्यपि ‘डेमोस’ का मूल अर्थ है भीड़ किंतु आधुनिक काल में इसका अर्थ जनता से लिया जाने लगा है और ‘क्रेटिया’ का अर्थ है ‘शक्ति’। इस प्रकार शब्दार्थ की दृष्टि से ‘डेमोक्रेसी’ का अर्थ है ‘जनता की शक्ति’। इस डेमोक्रेसी का अर्थ है जनता की शक्ति पर आधारित शासनतंत्र।
2. सवाल: लोकतंत्र के एक रूप ‘सामाजिक लोकतंत्र’ का क्या अर्थ है?
उत्तर: सामाजिक लोकतंत्र का अर्थ है कि समाज में नस्ल, रंग (वर्ण), जाति, धर्म, भाषा, लिंग, धन, जन्म आदि के आधार पर व्यक्तियों के बीच भेद नहीं किया जाना चाहिए और सभी व्यक्तियों को व्यक्ति के रूप में समान समझा जाना चाहिए।
3. सवाल: किस तरह के सामाजिक अंतर गहरे सामाजिक विभाजन और तनावों की स्थिति पैदा करते हैं, किस तरह के सामाजिक अंतर सामान्य तौर पर टकराव की स्थिति तक नहीं जाते।
उत्तर: एक ही तरह के सामाजिक अंतर गहरे सामाजिक विभाजन और तनावों की स्थिति पैदा करते हैं, विभिन्न तरह के सामाजिक अंतर सामान्य तौर पर टकराव की स्थिति तक नहीं जाते।
4. सवाल: लोकतंत्र को शासन का एक रूप ‘सामाजिक संगठन का एक सिद्धांत तथा जीवन की एक पद्धति माना जाता हैं क्यों?
उत्तर: लोकतंत्र का समाजवादी सिद्धांत लोकतंत्र के उदारवादी सिद्धांत तथा मार्क्सवादी सिद्धांत के समन्वय से बना सिद्धांत है। यह उदारवादी लोकतंत्र में निहित व्यक्ति की राजनीतिक स्वतंत्रता के मार्क्सवादी लोकतंत्र में निहित आर्थिक समानता के आदर्शों को एक साथ प्राप्त करना चाहता है।
5. सवाल: प्रत्यक्ष लोकतंत्र किसे कहते हैं? इसके उदाहरण दें।।
उत्तर: प्रत्यक्ष लोकतंत्र में जनता सरकार के कई निर्णयों में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेती है तथा कानून के निर्माण के समय अपना निर्णय (जनमत) देती है। प्रत्यक्ष लोकतंत्र का उदाहरण स्वीटजरलैंड है।
पाठ- 3 लोकतंत्र क्या, लोकतंत्र क्यों
1 सवाल: यहाँ चार देशों के बारे में कुछ सूचनाएँ हैं। इन सूचनाओं के आधार पर आप इन देशों का वर्गीकरण किस तरह करेंगे? इनके सामने ‘लोकतांत्रिक’, ‘अलोकतांत्रिक’ और पक्का नहीं लिखें।
(क) देश क जो लोग देश के अधिकारिक धर्म को नहीं मानते उन्हें वोट डालने का अधिकार नहीं है।
(ख) देश खः एक ही पार्टी बीते बीस वर्षों से चुनाव जीतती आ रही है।
(ग) देश गः पिछले तीन चुनावों में शासक दल को पराजय का मुंह देखना पड़ा।
(घ) देश घः यहाँ स्वतंत्र चुनाव आयोग नहीं है।
(क) अलोकतांत्रिक
(ख) पक्का नहीं
(ग) लोकतांत्रिक
(घ) अलोकतांत्रिक
2. सवाल: यहाँ चार अन्य देशों के बारे में कुछ सूचनाएँ दी गई हैं, इन सूचनाओं के आधार पर आप इन देशों का वर्गीकरण किस तरह करेंगे? इनके आगे ‘लोकतांत्रिक’, ‘अलोकतांत्रिक’ और ‘पक्का नहीं लिखें।
(क) देश च: संसद सेना प्रमुख की मंजूरी के बिना सेना के बारे में कोई कानून नहीं बना सकती।
(ख) देश छः संसद न्यायपालिका के अधिकारों में कटौती का कानून नहीं बना सकती।
(ग) देश ज: देश के नेता बिना पड़ोसी देश की अनुमति के किसी और देश से संधि नहीं कर सकते।
(घ) देश झः देश के आर्थिक फैसले केंद्रीय बैंक के अधिकारी करते हैं जिसे मंत्री नहीं बदल सकते।
उत्तर: (क) अलोकतांत्रिक (ख) लोकतांत्रिक (ग) अलोकतांत्रिक (घ) अलोकतांत्रिक
3. सवाल: लोकतंत्र में अकाल और भुखमरी की संभावना कम होती यह तर्क देने का इनमें से कौन-सा कारण सही नहीं है?
(क) विपक्षी दल भूख और भुखमरी की ओर सरकार का ध्यान दिला सकते हैं।
(ख) स्वतंत्र अखार देश के विभिन्न हिस्सों में अकाल की स्थिति के बारे में खबरें दे सकते हैं। (ग) सरकार को अगले चुनाव में अपनी पराजय का डर होता है।
(ग ) लोगों को कोई भी तर्क मानने और उस पर आचरण करने की स्वतंत्रता है।
उत्तर: विकल्प ‘ग’ तर्क के लिए वैध कारण नहीं है कि लोकतांत्रिक देश में अकाल की कम संभावना है। इसका कारण यह है कि किसी भी धर्म का आचरण करने से अकाल को रोकने के लिए कुछ नहीं करना पड़ता है।
घाना, म्यांमार और वेटिकन सिटी किसी न किसी रूप में लोकतंत्र की परिधि से बाहर के देश हैं। इसके अलावा सऊदी अरब, जार्डन, मोरक्को, भूटान, ब्रूनेई, कुवैत, यूएई, बहरीन, ओमान, कतर, स्वाजीलैंड आदि देशों में राजतंत्र है।
सामान्यत: लोकतंत्र-शासन-व्यवस्था दो प्रकार की मानी जानी है : (1) विशुद्ध या प्रत्यक्ष लोकतंत्र तथा (2) प्रतिनिधि सत्तात्मक या अप्रत्यक्ष लोकतंत्र
लोकतंत्र का अर्थ है जनता द्वारा , जनता के हित मे , जनता पर शासन। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता , मतदान का अधिकार , स्वतंत्र मीडिया, निष्पक्ष न्यायलय लोकतंत्र के प्रमुख सिद्धांत है।
ग्रीस, दुनिया का पहला लोकतांत्रिक देश है।
व्यावहारिक सामाजिक समानता का अभावः – जिन देशो में लोकतंत्र की स्थापना हुई, उनमें अधिकांश रूप से यह देखने को मिलता है कि व्यावहारिक रूप से सामाजिक समानता कायम नहीं रहती है। ऊंच – नीच, गरीबी – अमीरी, वर्ग – संघर्ष, तरीके और आर्थिक असमानताओं के कारण सामाजिक समानता कभी स्थापित नहीं होती है।
लोकतंत्र में लोक का अर्थ जनता और तंत्र का अर्थ व्यवस्था होता है. अत: लोकतंत्र का अर्थ हुआ जनता का राज्य. यह एक ऐसी जीवन पद्धति है जिसमें स्वतंत्रता, समता और बंधुता समाज-जीवन के मूल सिद्धांत होते हैं. अंग्रेजी में लोकतंत्र शब्द को डेमोक्रेसी (Democracy) कहते है जिसकी उत्पत्ति ग्रीक मूल शब्द ‘डेमोस’ से हुई है
लोकतंत्र में चुने हुए प्रतिनिधि विधायक और सांसद होते हैं जिन्हें हम वोट देकर अपना जनप्रतिनिधि बनाते हैं।
दुनिया के 56 देशों में है लोकतांत्रिक प्रणाली ञ्च भारत, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया समेत केवल 56 देशों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन किया जाता है।
सउदी अरब मध्यपूर्व में स्थित एक सुन्नी मुस्लिम देश है। यह एक इस्लामी राजतंत्र है जिसकी स्थापना १७५० के आसपास सउद द्वारा की गई थी। … यह विश्व के अग्रणी तेल निर्यातक देशों में गिना जाता है।
दुनिया में भारत को सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश माना जाता है। 26 जनवरी, 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था। इसे विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान मानते हैं। भारत को इसलिए दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र माना जाता है, क्योंकि यहां 29 भाषाएं और करीब 1650 बोलियां बोली जाती हैं।
लोकतंत्र के मुख्य रूप से दो प्रकार माने जाते हैं- (1) विशुद्ध या प्रत्यक्ष लोकतंत्र (2) प्रतिनिधि सत्तात्मक या अप्रत्यक्ष लोकतंत्र
सरकार के दो रूप हैं- (1) लोकतांत्रिक (2) गैर लोकतांत्रिक।
डॉ. भीमराव अंबेडकर
प्रत्यक्ष लोकतंत्र से तात्पर्य है कि जिसमें देश के सभी नागरिक प्रत्यक्ष रूप से राज्य कार्य में भाग लेते हैं। इस प्रकार उनके विचार विमर्श से ही कोई फैसला लिया जाता है । प्रसिद्ध दार्शनिक रूसो ने ऐस लोकतंत्र को ही आदर्श व्यवस्था माना है।
अरस्तू ने प्रजातंत्र एक विकृत शासन प्रणाली बताया था ,जिसमें बहू संख्या निर्धन वर्ग अपने वर्ग के हित के लिए शासन पर आता है और भीडतंत्र का रूप धारण कर लेता है और साथ ही अरस्तू के लोकतंत्र को पालिटी polity के नाम से जाना जाता है।
यूनानी दार्शनिक वलीआन के अनुसार ने प्रजातंत्र की यह परिभाषा दी है कि, “लोकतंत्र वह होगा जो जनता का, जनता के द्वारा हो, जनता के लिए हो।”
आज के समय में भी कई देश ऐसे हैं जो शासन के तानाशाही रूप के दौर से गुजर रहे हैं। वे देश हैं ईरान, चीन, उत्तर कोरिया, वेनेजुएला, सीरिया, मिस्र, कंबोडिया, कजाकिस्तान।
विभिन्न देशों पर शासन करने वाले कुछ क्रूर तानाशाह हैं, अयातुल्ला खामेनेई, बशर अल असद, किम जोंग उन, नूरसुल्तान नज़रबायेव, अब्दुल फतेह अल सीसी, शी जिनपिंग और हुन सेन।
हर दृष्टि से प्रजातंत्र जीने की आदर्श स्थिति है। यह समानता को बढ़ावा देता है, लोगों को अपनी सरकार चुनने और स्वतंत्र रूप से अपनी राय रखने का अधिकार देता है।
एक तानाशाही की मुख्य विशेषताओं में नागरिक अधिकारों का निलंबन, राजनीतिक विरोध का गला घोंटना, न्यायपालिका को कमजोर करना, आपातकाल की निरंतर स्थिति और निरंतर प्रसार दुष्प्रचार और प्रचार शामिल हैं।
आमतौर पर, एक राजशाही को राजा या रानी के शासन की विशेषता होती है, जो अपने लोगों पर पूर्ण नियंत्रण रखता है। राजशाही का वह रूप तानाशाही का चेहरा है। लेकिन यूनाइटेड किंगडम जैसा देश, जो एक संवैधानिक प्रकार की राजशाही है, एक सम्राट के नियंत्रण को काफी हद तक कम कर देता है।
भारत में लोकतांत्रिक शासन प्रणली है।
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने लोकतंत्र की परिभाषा दी थी।
आशा करते हैं कि आपको इस ब्लॉग के माध्यम से Loktantra kya hai के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिल गई होगी। इस प्रकार के अन्य ब्लोग्स पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ जुड़े रहें।
रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।
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हेमंत का मतलब और राशि - Hemant meaning aur rashi in hindi
- हिन्दू लड़कों के नाम और अर्थ
हेमंत नाम का मतलब - Hemant ka arth
अगर आप अपने बच्चे का नाम हेमंत रखने की सोच रहें हैं तो पहले उसका मतलब जान लेना जरूरी है। आपको बता दें कि हेमंत का मतलब गोल्ड या भगवान बुद्ध, अर्ली सर्दियों होता है। गोल्ड या भगवान बुद्ध, अर्ली सर्दियों होना बहुत अच्छा माना जाता है और इसकी झलक हेमंत नाम के लोगों में भी दिखती है। अगर आप अपने बच्चे को हेमंत नाम देते हैं तो जीवनभर के लिए उसका संबंध इस नाम के मतलब यानी गोल्ड या भगवान बुद्ध, अर्ली सर्दियों से हो जाएगा। जैसा कि हमने बताया कि हेमंत का अर्थ गोल्ड या भगवान बुद्ध, अर्ली सर्दियों होता है और इस अर्थ का प्रभाव आप हेमंत नाम के व्यक्ति के व्यव्हार में भी देख सकते हैं। हेमंत नाम वाले व्यक्ति बिलकुल अपने नाम के मतलब की तरह यानी गोल्ड या भगवान बुद्ध, अर्ली सर्दियों होते हैं। नीचे हेमंत नाम की राशि, लकी नंबर और स्वभाव एवं गोल्ड या भगवान बुद्ध, अर्ली सर्दियों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
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हेमंत नाम की राशि - Hemant naam ka rashifal
कर्क राशि का स्वामी ग्रह चंद्रमा है। भगवान शंकर को कर्क राशि का आराध्य देव माना जाता है। इस राशि के हेमंत नाम के लड़कों में पाचन तंत्र कमजोर होता है जिस वजह से ये अकसर पेट की समस्याओं जैसे गैस, कब्ज़ आदि से पीड़ित रहते हैं। कर्क राशि के हेमंत नाम के लड़कों में पेट, हार्ट और छाती के रोगों से पीड़ित होने का खतरा होता है। कर्क राशि के हेमंत नाम के लड़कों में चेचक और कैंसर होने का खतरा होता है। इन हेमंत नाम के लड़कों को चिंता करने और टेन्शन लेने की आदत होती है। इस राशि के हेमंत नाम के लड़कों का दिल अच्छा होता है ये दूसरे की परेशानियों को समझते हैं।
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हेमंत नाम का शुभ अंक - Hemant naam ka lucky number
हेमंत नाम के लोग चंद्रमा ग्रह के अधीन आते हैं और इनका शुभ अंक 2 है। ये लोग काफी भावुक और संवेदनशील होते हैं और दूसरों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। हेमंत नाम के लोगों का ग्रह स्वामी चंद्रमा होने के कारण ये हमेशा दूसरों की मदद करते हैं। आत्मविश्वास की कमी के चलते हेमंत नाम वाले लोग कभी अपनी योजनाएं पूरी नहीं कर पाते। ये लोग मार्गदर्शन करने में सक्षम और दयालु होते हैं। ये दूसरों की बातों को बहुत जल्दी अपने दिल पर लगा लेते हैं लेकिन वहीं दूसरी ओर इनमें क्षमा कर देने का भी गुण होता है।
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हेमंत नाम के व्यक्ति का व्यक्तित्व - Hemant naam ke vyakti ki personality
हेमंत नाम के लोगों की राशि कर्क होती है। हेमंत नाम के लोग लड़ाई-झगड़ों से दूर रहते हैं। हेमंत नाम के लोग दृढ़ निश्चयी होते हैं। हेमंत नाम के लोगों में बाहर से महत्वाकांक्षा नहीं दिखती, जबकि अंदर से इनकी इच्छाएं व लक्ष्य बहुत मजबूत होते हैं। जिनकी राशि कर्क होती है, उनमें एक अच्छा मैनेजर बनने के गुण होते हैं। हेमंत नाम के लोग अच्छे सहकर्मी होते हैं। इन्हें साथ में काम करने वालों की सहायता करना अच्छा लगता है।
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Hemant की कर्क राशि के हिसाब से और नाम
धर्म के आधार पर नाम.
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Bhushan meaning in hindi
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